#19: भारत का पॉडकास्टिंग परिदृश्य
आईडियाब्रू स्टूडियो के संस्थापक आदित्य कुबेर से जानिए पॉडकास्टिंग के नए रुझान
पॉडकास्ट परिक्रमा के नये पॉडकास्ट माईक टेस्टिंग के पहले अंक में पेश है आईडियाब्रू स्टूडियो के संस्थापक आदित्य कुबेर का साक्षात्कार। आदित्य ने भारतीय पॉडकास्टिंग के भविष्य, चुनौतियों और संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। आदित्य ने बताया कि कैसे आईडियाब्रू विभिन्न ब्रांड्स और क्रिएटर्स के साथ मिलकर 650 से अधिक पॉडकास्ट का निर्माण, होस्टिंग और वितरण करता है। उन्होंने पॉडकास्ट मोनेटाइजेशन के विभिन्न पहलुओं और भारतीय भाषाओं में कंटेंट क्रिएशन के महत्व पर भी चर्चा की। आदित्य ने 'पॉडकास्ट पल्स सर्वे' के परिणामों को साझा करते हुए बताया कि भारतीय पॉडकास्टिंग बाजार में अभी भी काफी संभावनाएँ हैं और इसे और अधिक विस्तार की आवश्यकता है। बातचीत में, उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पॉडकास्ट की डिस्कवरी और इंडिपेंडेंट क्रिएटर्स की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।
इस साक्षात्कार का विडियो देखने के लिये लेख में नीचे जायें
देबाशीषः हाय आदित्य! माइक टेस्टिंग के सबसे पहले अंक से जुड़ने के लिये शुक्रिया! मैं हिंदी मैं एक न्यूजलेटर प्रकाशित किया करता हूं, "पॉडकास्ट परिक्रमा", जो शायद आपने पढ़ा हो। ये मूलतः पॉडकास्टिंग के क्षेत्र के बारे में है. दुनिया भर में पॉडकास्टिंग में क्या चल रहा है. और मेरा प्रयास रहा है कि खास तौर पर हम देखें कि भारतीय पॉडकास्टिंग क्षेत्र में क्या चल रहा है।
मेरी पॉडकास्टिंग में रुचि करीब 15-16 साल पहले शुरु हुई थी, जब हिंदी ब्लॉगिंग, या कहें तो ब्लॉगिंग काफी व्यापक था। हम लोग भी बहुत कोशिश कर रहे थे कि भारतीय भाषाओं में ब्लॉगिंग हो और उस वक्त हमने पॉडभारती का ये एक पॉडकास्ट शुरू किया था। जो नौ एपिसोड चला फिर बंद हो गया। और उसी समय से शायद मैं आपसे भी परिचित हूं।
मुझे याद है, स्क्रिबलर नाम से आपका एक ब्लॉग चलता था, आपके दूसरे भी अन्य ब्लॉग और फिर मेरी एक अन्य शगल इंडीब्लॉगीज़, जो कि एक ब्लॉग अवार्ड वेबसाइट थी, उसके द्वारा फिर हमारा और परिचय हुआ। आप एक दफा जूरी मेंबर भी रहे। तो हमारा औपचारिक परिचय भले ना हुआ हो, हम एक दुजे से परिचित रहे हैं। तो शुरुआत करते हैं आपके एक संक्षिप्त परिचय से, फिर और बात करेंगे। चुंकि आप पॉडकास्टिंग के क्षेत्र के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, मेरे ख्याल से दर्शकों व श्रोताओं को और इस बारे में पता चलेगा कि खास तौर पर भारतीय पॉडकास्टिंग क्षेत्र में क्या हो रहा है. क्योंकि हम विदेशी पॉडकास्ट तो बहुत सुनते हैं लेकिन अपने देश के पॉडकास्ट के बारे में जानकारी शायद बहुत कम होगी। आशा है कि इस बातचीत से वो गैप थोड़ा भरेगा।
आदित्यः शुक्रिया देबाशीष, मुझे बुलाने के लिए और आपसे पुनः जुड़कर अच्छा लग रहा है। इंडीब्लॉगीज़ को कम से कम बीस साल तो हो ही गये होंगे? बहुत ही शुरू का दौर था वो। पॉडकास्ट से भी पहले का था। तो मेरा छोटा सा परिचय ये रहेगा कि मैं पिछले 25 साल से मीडिया स्पेस में हूं। न्यूजपेपर, मीडिया, एडवरटाइजिंग, डिजिटल मार्केटिंग, डॉट कॉम, काफी जगहों पर काम कर चुका हूं। आईडिया ब्रू स्टूडियो मेरा दूसरा उद्यमीय प्रयास है। आईडिया ब्रू स्टूडियो में हम तीन चीजें करते हैं: पहला, हमारे पास इंडिया का सबसे बड़ा इंडिपेंडेंट पॉडकास्टर नेटवर्क है। 650 से भी ज्यादा पॉडकास्ट हम डिस्ट्रीब्यूट, होस्ट व मॉनीटाइज़ करते हैं। इसके साथ हम ब्राँड शोल्यूशनिंग करते हैं पॉडकास्ट्स में, जहाँ पर ब्राँडेड कंटेंट द्वारा अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों को हम सेवायें प्रदान करते हैं, जैसे एंजल वन, आदित्य बिड़ला समूह, टाटा पावर, वगैरह। ये काफी बड़े समूह हैं जिनकी ज़रूरतें अलग अलग होती हैं। और तीसरा, हम खुद एक प्रकाशक हैं, तो भारत के अनेकों टॉप क्रिएटर्स के साथ हम पॉडकास्ट बनाते हैं, वितरित करते हैं, जैसे कि अंकुर वारिकु, डॉक्टर क्यूटिरस, इत्यादी। इन सब लोगों के पॉडकास्ट का हम निर्माण, होस्टिंग व वितरण करते हैं। तो ये तीन मुख्य वर्टिकल हैं आईडिया ब्रू स्टूडियो के।
देबाशीषः मेरे ख्याल से आईडिया ब्रू का नया उपक्रम जो बिंज पॉड्स नाम से शुरु किया है, वह पहले ऑडियोवाला नाम से जाना जाता था?
आदित्यः जी हाँ, AudioWallah उसका मूल नाम था। लेकिन कई कारणों से हमने उसका नाम बदल कर बिंज पॉड्स कर दिया। ऑडियोवाला नाम कुछ 6-8 महीने के लिए ही था, फिर हमने उसे बदल दिया। तो बिंज पॉड्स हमारा एक डेस्टीनेशन है, कलेक्टिव है, क्रिएटर्स का शोकेस है। उसका भविष्य में क्या होगा, देखते हैं। भारतीय पॉडकास्ट लगातार इवाल्व हो रहे हैं, सो हमारे तरफ से बिंज पॉड्स की कोई तय योजना नहीं है, परंतु एक डेस्टिनेशन होना जरूरी है, इसीलिए हमारे पास वो है।
पॉडकास्ट निर्माण प्रक्रिया
देबाशीषः मुझे एक चीज बताइए आदित्य, जो आपने कहा 650 के तकरीबन आप लोग पॉडकास्ट प्रोड्यूस कर रहे हैं उसमें से मैंने देखा है कि कुछ समाचार संबंधित हैं, जो जाहिर बात है कि नियमित रूप से अपडेट होते हैं। पर आपके संस्थान में पॉडकास्ट बनाने की प्रक्रिया कैसे रहती है? क्या क्रिएटर्स आपको अप्रोच करते हैं, या आप स्वयं बाजार खंगाल के सही लोगों के पास पहुंचते हैं, और उनसे आग्रह करते हैं कि क्या उन्हें रुचि है जुड़ने की। कॉर्पोरेट प्रोडक्शंस तो उनकी मांग के अनुरूप बनाएं जाते होंगे, पर जो दूसरे किस्म के पॉडकास्ट है, उसमें यह प्रोसेस किस तरह की रहती है?
आदित्यः दोनों में दोनों होता है। दरअसल काफी बार हम लोग क्रिएटर्स को भी अप्रोच करते हैं, क्योंकि कई क्रिएटर्स दूसरे प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहते हैं। कई क्रिएटर विडियो बनाते हैं, कई इंस्टाग्राम पर होते हैं। जहां हमें लगता है कि यहां पर अपॉर्चुनिटी है या फलां क्रिएटर अच्छा पॉडकास्ट बना सकते हैं तो हम उनसे संपर्क करते हैं। अगर इंटरेस्ट है, व म्युचुअली अग्रीएबल है, तो हम साथ में काम शुरू कर देते हैं। ब्रांड के साथ भी वैसे ही होता है। काफी बार हम ब्रांड्स को जाकर प्रपोज करते हैं, कि आप ऐसा करो, वैसा करो, हमारे पास क्रिएटर्स हैं, मदद के लिये। यहाँ टिपिकल बिजनेस डेवलपमेंट वाला दृष्टिकोण होता है। तो दोनों तरह के रास्ते हैं। कई बार क्रिएटर खुद आईडिया ले कर आते है, और हम ना कर देते हैं, क्योंकि हर आईडिया का पॉडकास्ट बनना मुमकिन नहीं है, बनना भी नहीं चाहिए। कई बार हम भी काफी क्लियर बोल देते की आप आप अच्छे क्रियेटर हो, पर इस आइडिया को अभी छोड़ दो, क्योंकि इसमें ना तो ऑडियंस आएगी, ना ही रेवेन्यू आएगा।
देबाशीषः इस रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में आदित्य मैं आपसे फिर और थोड़ा बात करूंगा, क्योंकि मैं चाहता हूं कि जो लोग पॉडकास्ट बनाने में इंटरेस्टेड हैं, क्योंकि भारतीय भाषाओं में पॉडकास्ट वाकई में बहुत कम बन रहे हैं और हमने शायद सारी शैलियाँ एक्सप्लोर भी नहीं की हैं। तो एक ओर तो आपका क्रिएटिव आउटलुक है जहां आप चाहते हैं कि एकदम बढ़िया पॉडकास्ट बने और कुछ मेरे जैसे लोग हैं जो चाहते हैं कि पॉडकास्ट कैसे भी हो, पर बनें, खास तौर पर भारतीय भाषा में बनें ताकि हम अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें। तो बाद में हम थोड़ा सा उस बारे में बात करेंगे।
पॉडकास्ट पल्स सर्वे और भारतीय पॉडकास्ट बाजार
मैं चर्चा ले जाना चाहता हूं एक बड़े रोचक विषय पर। आईडिया ब्रू ने हाल ही में एक सर्वे कराया "द पॉडकास्ट पल्स सर्वे" जिसमें आपने करीब 2200 लोगों के सैंपल का सर्वे किया। मेरे ख्याल से भारत में इस किस्म का सर्वे संभवतः बहुत ही अनोखा रहा होगा, क्योंकि भारतीय परिदृश्य में इस तरह के सर्वे कम ही होते हैं। तो उस बारे में थोड़ा बताइए आदित्य, यह कैसा सर्वे था, आपने किन लोगों से बात की और इस सर्वेक्षण से मोटे तौर पर आपको क्या पता चला?
आदित्यः जी, हमारे पार्टनर UNPAC रिसर्च की शीतल चोकसी जी के साथ हमने ये रिसर्च सर्वे करवाया था। एक दिक्कत जो भारतीय पॉडकास्ट बाजार में मैं देखता रहा हूं, और मैं विगत 8 सालों से इस क्षेत्र में सक्रीय हूं, वो यह है कि इंडिया संबंधित स्थानीय आंकड़े किसी के पास नहीं है। हम हमेशा या तो एडिसन रिसर्च का हवाला देते हैं या फिर किसी और विदेशी रिपोर्ट की ओर देखते हैं या किसी बड़े इंटरटेनमेंट रिपोर्ट में सिर्फ आधा पेज हमारी इंडस्ट्री के बारे में होता है। सो एक उद्देश्य तो ये था कि डीप डाइव कर खुद ही ये समझ ले क्या यथास्थिति है, और दूसरा जब हम ब्रांड्स या क्रिएटर्स के साथ काम करते हैं तो काफी बार हमने समाचार सुर्खियों में ये पढ़ा है की देश में हर माह 10 करोड़* लोग पॉडकास्ट सुनते हैं। ये नंबर सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन एक पॉडकास्टर के रूप में जब मैं अपना डैशबोर्ड देखता हूं तो सोचता हूं कि इसमें से एक प्रतिशत श्रोता भी रोजाना मेरे पास क्यों नहीं आ रहे हैं? इसका मतलब कोई तो गैप है। तो ये100 मिलियन कहाँ हैं, कौन है ये लोग? ये क्या सुन रहे हैं? इसी विचार से हमने ये सर्वे करवाया ताकि यह समझ सकें कि मार्केट की असल स्थिति क्या है।
तो इस सर्वे में जो मुख्य चीज सामने आई है कि उदाहरण के लिये अमरीका में जनरल पॉपुलेशन में
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