#23: जब भाषा ने खोला सच का दरवाजा: टिमोथी इवांस की कहानी
साथ हीः भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पॉडकास्ट बाजार
हर रोज हम विभिन्न न्यायालयों द्वारा जारी निर्णयों की खबरें पढ़ते हैं और मन ही मन कहते हैं, चलो देर से ही सही न्याय तो मिला। हमने ये भी सुन कर रखा है कि न्यायपालिका मानती है कि हज़ारों दोषी क्यों न छूट जाये पर एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिये। पर क्या हो अगर न्यायपालिका ही ऐसी गंभीर गलती कर बैठे जिससे न केवल एक दोषी छूट जाये बल्कि एक निर्दोष की जान चली जाये?
लंदन के नॉटिंग हिल में न्याय की ऐसी ही त्रासदीपूर्ण हत्या हुई, जिसने ब्रिटिश कानूनी इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी है। इसके केंद्र में थे एक युवा वेल्श टिमोथी इवांस की जिसे 1950 में अपनी पत्नी और बेटी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया, और फांसी दे दी गई। यह कुख्यात मामला ब्रिटेन में मृत्युदंड के उन्मूलन में मील का पत्थर साबित हुआ।
इवांस की कहानी कबूलनामों की एक श्रृंखला से शुरू हुई, जिसकी बाद में फोरेंसिक भाषाविदों द्वारा जांच की गई। अपने शुरुआती बयानों में उसने इन हत्याओं में अपने पड़ोसी, जॉन क्रिस्टी के शामिल होने का आरोप लगाया था, लेकिन अदालत ने इन्हें काल्पनिक बताकर खारिज कर दिया। इवांस ने अंततः अपराधों को स्वीकार कर लिया और उसे प्राणदंड मिला। पर 1953 में उसी अदालत ने इवांस के पड़ोसी क्रिस्टी को इस हत्याकांड और अन्य हत्याओं, जिसमें क्रिस्टी की बीवी का कत्ल भी शामिल था, का दोषी पाया। उसे भी फांसी की सजा मिली।
दशकों बाद, न्यायालयिक भाषाविज्ञान ने इवांस के कबूलनामों पर नया प्रकाश डाला। 1968 में स्वीडिश प्राध्यापक यान स्वार्तविक जैसे विशेषज्ञों ने Forensic Linguistics का पहला ज़िक्र किया। उन्होंने इवांस के कबूलनामे की भाषा का विश्लेषण करते हुए, "पुलिसिया भाषा" के विशिष्ट पैटर्न की पहचान की, जिससे यह अनुमान लगा कि कबूलनामे के कुछ हिस्से पुलिस अधिकारियों द्वारा तैयार किए थे, क्योंकि वैसी भाषा इवांस जैसे अनपढ़ इंसान की नहीं हो सकती थी। इसके आधार पर 1966 में इवांस को मृत्युपरांत माफी प्रदान की गई।
आपराधिक जांच में भाषा विश्लेषण अक्सर दोधारी तलवार जैसा काम करता है, ये दोषी और निर्दोष दोनों को बेनकाब कर सकता है। एस्टन इंस्टीट्यूट फॉर फोरेंसिक लिंग्विस्टिक्स का बनाया पॉडकास्ट "Writing Wrongs", ऐसे मामलों की गहराई में जाता है जहाँ भाषा न्याय की खोज को आकार देती है। प्रोफेसर टिम ग्रांट और डॉ. निक्की मैकलिओड द्वारा होस्ट किया गया ये पॉडकास्ट भाषा, कानून और सत्य के अन्वेषण की एक रोमांचक यात्रा है।
चेतावनी: उपरोक्त पॉडकास्ट अंक में गर्भपात, हत्या और फांसी की सज़ा का वर्णन है। सुनने से पहले और दौरान स्वविवेक का प्रयोग करें।
फोरेंसिक भाषाविज्ञान कई अन्य उच्च-प्रोफाइल मामलों की पुनर्जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।
अमरीकी गणितज्ञ टेड काजिन्स्की के घोषणापत्र और अन्य लेखों के भाषाई विश्लेषण ने उनके यूनाबॉम्बर के रूप में पहचान करने में मदद की।
जूली टर्नर 2005 में गायब हो गईं, और उनके साथी को उनके फोन से संदिग्ध टेक्स्ट संदेश प्राप्त हुए। इन संदेशों के भाषाई विश्लेषण से पता चला कि वे संभवतः उनके साथी, हॉवर्ड सिमरसन द्वारा भेजे गए थे, जिन्हें बाद में उनकी हत्या का दोषी ठहराया गया।
भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पॉडकास्ट बाजार
फाईनैंशियल एक्सप्रेस की एक रपट के मुताबिक भारत का पॉडकास्ट उद्योग उल्लेखनीय वृद्धि देख रहा है। 5.76 करोड़ मासिक श्रोताओं के साथ भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पॉडकास्ट श्रोताओं का बाजार है। अनुमान है कि 2030 तक यह बाजार 3.27 बिलियन डॉलर (~ 2.84 खरब रुपये) तक पहुंच जाएगा, जो 31.9% की CAGR (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से बढ़ रहा है। यह उछाल बढ़ती जागरूकता, विविध सामग्री, स्मार्टफोन की पहुंच और स्थानीय और क्षेत्रीय पेशकशों के विस्तार जैसे कारकों से प्रेरित है।
उद्योग की वृद्धि के मुख्य आकर्षण में शामिल हैं:
Spotify और Audible जैसे प्लेटफ़ॉर्म भारतीय बाज़ार में भारी निवेश कर रहे हैं।
राज शमानी, करिश्मा मेहता और पूजा ढींगरा जैसे प्रमुख पॉडकास्टर व्यवसाय और जीवनशैली से लेकर भोजन और मनोरंजन तक की विविध सामग्री के साथ बड़े दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं।
Monetization रणनीतियों में प्लेटफ़ॉर्म राजस्व, ब्रांड भागीदारी और अनन्य सामग्री मॉडल शामिल हैं। कुछ पॉडकास्टर अपनी पहुँच का विस्तार करने के लिए मल्टीमीडिया दृष्टिकोण तलाश रहे हैं।
संप्रति उद्योग का विकास विशुद्ध रूप से ऑडियो से वीडियो पॉडकास्ट में बदलाव के कारण हो रहा है, जिसके अंतर्गत प्लेटफ़ॉर्म और निर्माता बदलती हुई उपभोक्ता प्राथमिकताओं के अनुकूल ढल रहे हैं और बढ़ते बाजार का लाभ उठाने के लिए नए बिजनेस मॉडल खंगाल रहे हैं।
उल्लेखनीय पॉडकास्ट
🎧बिकमिंग यू | अंग्रेजी | मुफ्त
"कैसे बिताउं अपना जीवन?" जैसे सवाल अगर आपके ज़ेहन में मंडरा रहे हों तो पेशे खिदमत है NYU में सेल्फ-डिस्कवरी पढ़ाने वाली प्रो. सूजी वेल्च का पॉडकास्ट “बिकमिंग यू” । सूजी सिर्फ़ ज्ञान ही नहीं देतीं; वह इसे ईमानदारी के साथ पेश करती हैं जिससे आपको महसूस होता है जैसे आप एक बेहद स्नेहमयी गुरु से बात कर रहे हैं। करियर हो, व्यक्तिगत विकास या आधुनिक जीवन के बेतुके संघर्ष का मामला, यह पॉडकास्ट आपको एक स्मार्ट, मज़ेदार साप्ताहिक नज़रिया और अंतर्दृष्टि, हँसी और प्रेरणा की खुराक प्रदान करता है।
बातें काम की
अगर आप अपने मोबाइल फोन द्वारा वीडियो अथवा ऑडियो रिकार्ड करना चाहते पर फोन को हाथ में धरे नहीं रखना चाहते तो उसके लिये लैवलियर माइक्रोफ़ोन बढ़िया रहता है। इसे लैपल माइक भी कहा जाता है और इसे आप अपनी शर्ट, टाई या कोट पर आसानी से लगा सकते हैं। वार्यड मॉडल्स में Amazon पर बोया, जेबीएल और माओनो वाजिब कीमत पर उपलब्ध हैं। हालांकि हाल ही में मैंने बॉसड्रॉप्स का ये मॉडल केवल 299 में लिया था (इसकी फुनगी कवर मुझे बड़ी प्यारी लगी)। वायरलेस मॉडल इनसे महंगे होते हैं। विकीहाउ पर बताया गया है कि इन माईक्स को लगभग अदृश्य बना कर कैसे पहनें।