#24: "गॉड्स बैंकर" की रहस्यमयी मौत: षड्यंत्र और अनुत्तरित प्रश्नों का विस्मयजनक कथानक
साथ हीः वॉइस ऑफ़ अमेरिका पर लगाया ट्रम्प ने ताला
18 जून, 1982 की सुबह लंदन के ब्लैकफ्रियर्स ब्रिज के नीचे एक भयावह दृश्य था। वहाँ एक मचान से लटका था इतालवी बैंक बैंको एम्ब्रोसियानो के 62 वर्षीय अध्यक्ष रॉबर्टो कैल्वी का शव। उनकी जेबें ईंटों और नकदी से भरी हुई थीं। साथ ही था एक जाली पासपोर्ट।
शुरुआत में ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे आत्महत्या माना। पर उनकी मौत के पीछे रहस्य और षड्यंत्र का गहरा जाल था।
कैल्वी का जीवन उनकी मृत्यु की तरह ही रहस्यमय था। उनके वेटिकन के साथ घनिष्ठ संबंध थे, इसलिये उन्हें "गॉड्स बैंकर" के रूप में भी जाना जाता था। वे बैंको एम्ब्रोसियानो के वित्तीय संचालन में शामिल थे। 1982 में ही तकरीबन 1.5 बिलियन डॉलर (~एक खरब 29 अरब 53 करोड़ रुपये) के ऋण के कारण बैंक दिवालिया हो गया था, जिनमें से अधिकांश वेटिकन बैंक के माध्यम से आये थे। कैल्वी के संबंध सिर्फ़ वेटिकन से ही नहीं थे, बल्कि इतालवी माफिया P2 और संभवतः शीत युद्ध के दौरान CIA से भी थे।
अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले ही कैल्वी ने पोप जॉन पॉल द्वितीय को एक हताशा भरा पत्र लिखा था, जिसमें चर्च को नुकसान पहुँचाने वाली संभावित वित्तीय तबाही की चेतावनी दी गई थी। इस खत और इटली से उनके अचानक गायब होने और फिर लंदन में उनका शव पाने की वजह से कई लोगों को लगा कि उनकी मृत्यु आत्महत्या नहीं थी।
1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में फोरेंसिक जांच से ये निष्कर्ष निकला कि कैल्वी की वाकई हत्या की गई थी। साक्ष्यों से पता चला कि फांसी पर लटकाए जाने से पहले उनका गला घोंटा गया था। उनके कपड़ों में ईंटों की मौजूदगी, मचान से उनके जूतों पर जंग या पेंट के निशान न लगना और उनकी गर्दन पर लगी चोटें - सभी से हत्या की बात पुख्ता हुई।
हत्या के संदिग्धों में माफिया के लोग शामिल मिले पर 2005 में सभी को अपर्याप्त सबूतों के कारण बरी कर दिया गया, जिससे मामला आधिकारिक तौर पर अनसुलझा रह गया। कैल्वी की मौत वित्तीय जालसाजी के एक जटिल जाल से जुड़ी थी, जिसमें माफिया के लिए मनी लॉन्ड्रिंग, कम्युनिस्ट विरोधी आंदोलनों का वित्तपोषण और वेटिकन की जासूसी भी शामिल थे।
चालीस साल बाद, रॉबर्टो कैल्वी की कहानी अभी भी लोगों को आकर्षित और भ्रमित करती है। जब अमरीकी वकील निकोलो माजनोनी को एक टिप मिली कि इस कहानी में और भी कुछ हो सकता है तो वे कैल्वी की मौत की सच्चाई को उजागर करने की खोज में लग गए। और इसी खोज पर आधारित है पॉडकास्ट श्रृंखला "शैडो किंगडम: गॉड्स बैंकर", जिसमें अंतर्राष्ट्रीय फायनेंस, संगठित अपराध और वेटिकन की राजनीति के दलदल में डूबी एक ऐसी कहानी का खुलासा है जहाँ तथ्य और कल्पना के बीच की दूरियां धुंधला जाती हैं।
जैसे-जैसे माजनोनी की जाँच सामने आती है, श्रोताओं को सोचने के लिए विवश होना पड़ता है कि क्या कैल्वी अपने ही खतरनाक रहस्यों का शिकार हो गया था, या उसे भू-राजनीतिक शतरंज के एक बड़े खेल में बलिदान कर दिया गया था? सच्चाई, इटली और उसकी सत्ता के गलियारों में फिरते गुमनाम किरदारों की ही तरह मायावी हो सकती है।
VOA पर ट्रम्प का ताला: "कट्टरपंथी प्रचार" का आरोप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संघीय वित्त पोषित समाचार संगठन वॉइस ऑफ़ अमेरिका (VOA) को "ट्रम्प-विरोधी" और "कट्टरपंथी" होने का आरोप लगाते हुये बंद करने का आदेश जारी किया है।
व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया है कि यह आदेश "करदाताओं को कट्टरपंथी प्रचार से मुक्त करेगा"। VOA, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी और जापानी प्रोपागांडा का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया था, हर सप्ताह विश्व भर में करोड़ों लोगों तक पहुंचता रहा है। अमेरिकी पत्रकारों के एक प्रमुख प्रतिनिधि समूह राष्ट्रीय प्रेस क्लब ने कहा कि यह आदेश "स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस के प्रति अमेरिका की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को कमज़ोर करता है।"
ट्रम्प के आदेश का लक्ष्य VOA की मूल कंपनी US एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया (USAGM) है, जो रेडियो फ्री यूरोप और रेडियो फ्री एशिया जैसी गैर-लाभकारी संस्थाओं को भी वित्त पोषित करती है। ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल में भी VOA के प्रति अत्यधिक आलोचनात्मक रहे हैं और उन्होंने हाल ही में USAGM के लिए कट्टर समर्थक कारी लेक को विशेष सलाहकार नियुक्त किया है।
अन्य खबरों में
असम के अंग्रेजी संबाद ने आमिर खान और नाना पाटेकर के हालिया पॉडकास्ट के संदर्भ में लिखा कि हालांकि पॉडकास्ट ने भारत में अपार लोकप्रियता हासिल कर ली है, तथा रणवीर अल्लाहबादिया और राज शमनी जैसे शुरुआती लोग इसे अपना रहे हैं, लेकिन अब बाजार संतृप्त प्रतीत होता है, क्योंकि लगभग हर कंटेंट निर्माता इस प्रारूप का लाभ उठा रहा है। गल अपने पल्ले नहीं पड़ी!
उल्लेखनीय पॉडकास्ट
🎧माइंड योर बफ़ेलो | अंग्रेजी | मुफ्त
रविकांत किसना अंबेडरवादी हैं, प्राध्यापक हैं और नेट पर बफेलो इंटलेक्चुअल के नाम से जाने जाते हैं। उनका ये अनूठा साहसिक पॉडकास्ट अंबेडकरवादी नजरिए से भारतीय सामाजिक विसंगतियों की एक तीखी जांच प्रस्तुत करता है। रविकांत बौद्धिक कठोरता और गहरे हास्य के मिश्रण के साथ जाति की राजनीति, सांस्कृतिक घटनाओं और सामाजिक न्याय पर बगैर फ़िल्टर टिप्पणी करते हैं। "एनिमल" जैसी फ़िल्मों के विश्लेषण से लेकर "आइडिया ऑफ़ इंडिया" के विघटन तक, प्रत्येक एपिसोड में अभिज्ञता के साथ तीखी आलोचना का मिश्रण होता है। सवर्ण संस्कृति को चुनौती देने और अनदेखे दृष्टिकोणों को उजागर करने उनकी काबिलीयत इसे समकालीन भारत को समझने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए सुनना ज़रूरी बनाती है। अगर आप इंस्टाग्राम पर हैं तो उनके रील्स भी बड़े मज़ेदार होते हैं।